सवर्णों का आज़ादी के आंदोलन में बढ़ चढ़ कर हिस्सा लेना , ब्राह्मणों के सदियों पुरानी सामाजिक , सांस्कृतिक और धार्मिक गौरवपूर्ण विरासत के अस्तित्व को बचाने का आंदोलन था !
निम्न कारणों से सवर्णों ने अंग्रेजों के खिलाफ आंदोलन में बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिया !
- अंग्रेजों द्वारा अन्धविश्वाश और अन्याय पर आधारित रूढ़िवादी परमपराओं के विरुद्ध सख़्त कानून बनाना !
- समान न्यायिक व्यवस्था लागु कर ,ब्राह्मण को भी सख़्त सज़ा के दायरे में लाना !
- दलितों और पिछड़ों को शिक्षा और सम्पति का अधिकार !
- सरकारी नौकरीओं में दलित ,पिछड़ों की हिस्सेदारी सुनिश्चित करना
- व्यस्क मताधिकार !
- अंग्रेजो ने 1795 में अधिनयम 11 के द्वारा शुद्रों को भी सम्पत्ति रखने का कानून बनाया।
- 1773 में ईस्ट इंडिया कम्पनी ने रेगुलेटिग एक्ट पास किया जिसमें न्याय व्यवस्था समानता पर आधारित थी। 6 मई 1775 को इसी कानून द्वारा बंगाल के सामन्त ब्राह्मण नन्द कुमार देव को फांसी हुई
- 1804 अधिनीयम 3 के द्वारा कन्या हत्या पर रोक अंग्रेजों ने लगाई (लडकियों के पैदा होते ही तालु में अफीम चिपकाकर, माँ के स्तन पर धतूरे का लेप लगाकर, एव म्गढ्ढाब नाकर उसमें दूध डालकर डुबो कर मारा जाता था)
- 1813 में ब्रिटिश सरकार ने कानून बनाकर शिक्षा ग्रहण करने का सभी जातियों और धर्मों के लोगों को अधिकार दिया।
- 1813 में ने दास प्रथा का अंत, कानून बनाकर किया |
- 1817 में समान नागरिक संहिता कानून बनाया (1817 के पहले सजा का प्रावधान वर्ण के आधार पर था। ब्राह्मण को कोई सजा नही होती थी ओर शुद्र को कठोर दंड दिया जाता था। अंग्रेजो ने सजा का प्रावधान समान कर दिया।)
- 1819 में अधिनियम 7 के द्वारा ब्राह्मणों द्वारा शुद्र स्त्रियों के शुद्धिकरण पर रोक लगाई। (शुद्रों की शादी होने पर दुल्हन को अपने यानि दूल्हे के घर न जाकर कम से कम तीन रात ब्राह्मण के घर शारीरिक सेवा देनी पड़ती थी।)
- 1830 नरबलि प्रथा पररोक( देवी -देवता को प्रसन्न करने के लिए ब्राह्मण शुद्रों, स्त्री व् पुरुष दोनों को मन्दिर में सिर पटक पटक कर चढ़ा देता था।)
- 1833 अधिनियम 87 के द्वारा सरकारी सेवा में भेद-भाव पर रोक अर्थात योग्यता ही सेवा का आधार स्वीकार किया गया तथा कम्पनी के अधीन किसी भारतीय नागरिक को जन्म स्थान, धर्म, जाति या रंग के आधार पर पद से वंचित नही रखा जा सकता है।
- 1834 में पहला भारतीय विधि आयोग का गठन हुआ। कानून बनाने की व्यवस्था जाति, वर्ण, धर्म और क्षेत्र की भावना से ऊपर उठकर करना आयोग का प्रमुख उद्देश्य था।
- 1835 प्रथम पुत्र को गंगा दान पर रोक (ब्राह्मणों ने नियम बनाया कि शुद्रों के घर यदि पहला बच्चा लड़का पैदा हो तो उसे गंगा में फेंक देना चाहिये। पहला पुत्र ह्रष्ट-पृष्ट एवं स्वस्थ पैदा होता है। यह बच्चा ब्राह्मणों से लड़ न पाए इसलिए पैदा होते ही गंगा को दान करवा देते थे।
- 7 मार्च 1835 कोलार्ड मैकाले ने शिक्षा नीति राज्य का विषय बनाया और उच्च शिक्षा को अंग्रेजी भाषा का माध्यम बनाया गया।
- 1835 में कानून बनाकर अंग्रेजों ने शुद्रों को कुर्सी पर बैठने का अधिकार दिया।
- दिसम्बर 1829 के नियम 17 के द्वारा विधवाओं को जलाना अवैध घोषित कर सती प्रथा का अंत किया।
- देवदासी प्रथा पर रोक लगाई। ब्राह्मणों के कहने से शुद्र अपनी लडकियों को मन्दिर की सेवा के लिए दान देते थे। मन्दिर के पुजारी उनका शारीरिक शोषण करते थे। बच्चा पैदा होने पर उसे फेंक देते थे। और उस बच्चे को हरिजन नाम देते थे। 1921 को जातिवार जनगणना के आंकड़े के अनुसार अकेले मद्रास में कुल जनसंख्या 4 करोड़ 23 लाख थी जिसमें 2 लाख देवदासियां मन्दिरों में पड़ी थी। यह प्रथा अभी भी दक्षिण भारत के मन्दिरो में चल रही है।
- 1837 अधिनियम द्वारा ठगी प्रथा का अंत किया।
- 1849 में कलकत्ता में एक बालिका विद्यालय जे0ई0डी0 बेटन ने स्थापित किया।
- 1854 में अंग्रेजों ने 3 विश्वविद्यालय कलकत्ता मद्रास और बॉम्बे में स्थापित किये। 1902 मे विश्वविद्यालय आयोग नियुक्त किया गया।
- 6 अक्टूबर 1860 को अंग्रेजों ने इंडियन पीनल कोड बनाया। लार्ड मैकाले ने सदियों से जकड़े शुद्रों की जंजीरों को काट दिया ओर भारत में जाति, वर्ण और धर्म के बिना एक समान क्रिमिनल लॉ लागु कर दिया।
- 1863 अंग्रेजों ने कानून बनाकर चरक पूजा पर रोक लगा दिया (आलिशान भवन एवं पुल निर्माण पर शुद्रों को पकड़कर जिन्दा चुनवा दिया जाता था इस पूजा में मान्यता थी की भवन और पुल ज्यादा दिनों तक टिकाऊ रहेगें।
- 1867 में बहू विवाह प्रथा पर पुरे देश में प्रतिबन्ध लगाने के उद्देश्य से बंगाल सरकार ने एक कमेटी गठित किया ।
- 1871 में अंग्रेजों ने भारत में जातिवार गणना प्रारम्भ की। यह जनगणना 1941 तक हुई । 1948 में पण्डित नेहरू ने कानून बनाकर जातिवार गणना पर रोक लगा दी।
- 1872 में सिविल मैरिज एक्ट द्वारा 14 वर्ष से कम आयु की कन्याओं एवम् 18 वर्ष से कम आयु के लड़को का विवाह वर्जित करके बाल विवाह पर रोक लगाई ।
- अंग्रेजों ने महार और चमार रेजिमेंट बनाकर इन जातियों को सेना में भर्ती किया लेकिन 1892 में ब्राह्मणों के दबाव के कारण सेना में अछूतों की भर्ती बन्द हो गयी।
- रैयत वाणी पद्धति अंग्रेजों ने बनाकर प्रत्येक पंजीकृत भूमिदार को भूमि का स्वामी स्वीकार किया।
- 1918 में साऊथ बरो कमेटी को भारत में अंग्रेजों ने भेजा। यह कमेटी भारत में सभी जातियों का विधिमण्डल (कानून बनाने की संस्था) में भागीदारी के लिए आया था। शाहूजी महाराज के कहने पर पिछङो के नेता भाष्कर राव जाधव ने एवम् अछूतों के नेता डा0 अम्बेडकर ने अपने लोगो को विधि मण्डल में भागीदारी के लिये मेमोरेंडम दिया।
- अंग्रेजो ने 1919 में भारत सरकार अधिनियम का गठन किया ।
- 1919 में अंग्रेजो ने ब्राह्मणों के जज बनने पर रोक लगा दी थी और कहा था की इनके अंदर न्यायिक चरित्र नही होता है।
- 25 दिसम्बर 1927 को डा0 अम्बेडकर द्वारा मनु समृति का दहन किया।
- 1 मार्च 1930 को डा0 अम्बेडकर द्वारा कालाराम मन्दिर (नासिक) प्रवेश का आंदोलन चलाया।
- 1927 को अंग्रेजों ने कानून बनाकर शुद्रों के सार्वजनिक स्थानों पर जाने का अधिकार दिया।
- नवम्बर 1927 में साइमन कमीशन की नियुक्ति की। जो 1928 में भारत के लोगों को अतिरिक्त अधिकार देने के लिए आया। भारत के लोगों को अंग्रेज अधिकार न दे सके इसलिए इस कमीशन के भारत पहुँचते ही गांधी ने इस कमीशन के विरोध में बहुत बड़ा आंदोलन चलाया। जिस कारण साइमन कमीशन अधूरी रिपोर्ट लेकर वापस चला गया। इस पर अंतिम फैसले के लिए अंग्रेजों ने भारतीय प्रतिनिधियों को 12 नवम्बर 1930 को लन्दन गोलमेज सम्मेलन में बुलाया।
- 24 सितम्बर 1932 को अंग्रेजों ने कम्युनल अवार्ड घोषित किया जिसमें प्रमुख अधिकार निम्न दिए----
- वयस्क मताधिकार
- -विधान मण्डलों और संघीय सरकार में जनसंख्या के अनुपात में अछूतों को आरक्षण का अधिकार
- -सिक्ख, ईसाई और मुसलमानों की तरह अछूतों को भी स्वतन्त्र निर्वाचन के क्षेत्र का अधिकार मिला। जिन क्षेत्रों में अछूत प्रतिनिधि खड़े होंगे उनका चुनाव केवल अछूत ही करेगें।
- -प्रतिनिधियों को चुनने के लिए दो बार वोट का अधिकार मिला जिसमें एक बार सिर्फ अपने प्रतिनिधियों को वोट देंगे दूसरी बार सामान्य प्रतिनिधियों को वोट देगे।
- 19 मार्च 1928 को बेगारी प्रथा के विरुद्ध डा0 अम्बेडकर ने मुम्बई विधान परिषद में आवाज उठाई। जिसके बाद अंग्रेजों ने इस प्रथा को समाप्त कर दिया।
- 1937 में अंग्रेजों ने भारत में प्रोविंशियल गवर्नमेंट का चुनाव करवाया।
- 1942 में अंग्रेजों से डा अम्बेडकर ने 50 हजार हेक्टेयर भूमि को अछूतों एवम् पिछङो में बाट देने के लिए अपील किया ।अंग्रेजों ने 20 वर्षों की समय सीमा तय किया था।
- अंग्रेजों ने शासन प्रसासन में ब्राह्मणों की भागीदारी को 100% से 2.5% पर लाकर खड़ाकर दिया था। इन्ही सब वजाह से ब्राह्मणों ने अंग्रेजों के खिलाफ़ क्रांति शुरू कर दी क्योकि अंग्रेजों ने शुद्रो को सारे अधिकार दे दीये थे और सब जातियो के लोगो को एक समान अधिकार देकर सबको बराबरी मे लाकर खडा किया।
इस प्रकार के तमाम मानवीय मूल्यों पर आधारित जनहित में निम्न कानून बना कर और अन्धविश्वाश ,पाखंडों से भरी परम्पराएं जो धर्म का मूल है उन्हें सख़्त कानून बना कर उन पर पाबन्दी लगाना , अंग्रेजों का आम भारतियों के प्रति करुणा और मानवता को दर्शाता है ! जो सदियों से परंपरा और पाखंड के कारण अन्याय अत्याचार को अपने जीवन का हिस्सा स्वीकार चुके थे! अंग्रेजों दवारा सख़्त कानून बनाने से दलित पिछड़े और सभी वर्गों की महिलाओं को सामाजिक और धार्मिक गुलामी के विरुद्ध बगावत की प्रस्तभूमि सिद्ध हुई ! जो अंततः भारतीय संविधान में समानता और स्वतंत्रता और न्याय में परिणित हुई !
कपिल बर्मन


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