" महानायक को श्रद्धांजलि "
बसपा राजनैतिक पार्टी नहीं ,सामाजिक परिवर्तन एवं आर्थिक मुक्ति का आंदोलन था । "मान्यवर साहब कांशीराम "
kapil barman ,8-10-2017
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| सड़क से संसद की ओर अग्रसर होता ,सदी का महान सामाजिक क्रांतिकारी |
जब कांशीराम साहब ने देखा "पचासी की कमाई, पंद्रह की मलाई" के सिद्धांत के चलते देस में साधन-संसाधन और प्राकर्तिक सम्पदा का सम्पूर्ण नियंतरण पंद्रह प्रतिशत स्वर्ण वर्ग के हाथों देखा! जिसके कारण भारत में सामाजिक और आर्थिक विसमताओं के चलते गरीब निरंतर गरीब होता जा रहा है और अमीर निरंतर अमीर होता जा रहा है! परिणाम यह हुआ की देस के सबसे बड़े अमीर का एक समय का नास्ता देस के सबसे गरीब की जीवन भर की कमाई से कई गुना अधिक हो गई! और भारत के समाजवादी संविधान पर पूंजीवाद हावी हो गया!
जबकि आज़ाद भारत का संविधान "समाजवाद, धर्मनिरपेक्ष लोकतान्त्रिक जैसे मूल्यों पर आधारित है!" जिसमे संविधान प्रत्येक नागरिक को का मौलिक अधिकार प्रदत करता हो उस देस में इतनी सामाजिक, आर्थिक विषमता किन-किन कारणों से कैसे संभव हुई!
- न्याय (सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक)
- स्वतंत्रता (विचार, अभिवयक्ति, विशवाश, धर्म और उपासना)
- समानता (प्रतिष्ठा और अवसर)
उपरोक्त विचार मंथन से बामसेफ का एक आंदोलन के रूप में जन्म हुआ जिसका लक्ष्य सामाजिक परिवर्तन, आर्थिक मुक्ति निर्धारित किया गया!
सामाजिक परिवर्तन, आर्थिक मुक्ति लक्ष्य हांसिल करने को बामसेफ सामाजिक संगठन को 1984 में एक राजनीतिक पार्टी, "बहुजन समाज पार्टी" के रूप में गठित किया गया!
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| बहुजन समाज को सत्ता की ओर प्रेरित करते मान्यवर |
मान्यवर कांशीराम साहब जी ने निम्न योजना के आधार पर बसपा को विकसित किया!
1 -एक वोट और एक नोट से बहुजन समाज को हुक्मरान बनाना।
2 -बहुजन समाज की 6743 जातियों में जन्मे सभी महापुरुषों का गौरवशाली इतिहास, जिसे एक साजिस के तहत मनुवादियो ने मिटा दिया था। उस इतिहास को पुन्ह उजागर कर बहुजन समाज में खोये हुए स्वभिमान को स्थापित करना ।
3 - जाति व्यवस्था के कारण ही वंचित समाज के साथ अन्याय, अत्याचार और शोषण होता है। मान्यवर साहब कांशीराम जी ने जाति को एक सीडी की संज्ञा दी , कांशीराम जी का मानना था कि जो सीडी ऊपर चढ़ा सकती है वह ही सीडी निचे भी उतार सकती है, ब्राह्मण ने जाति के आधार पर ही हमें नीच बनाया है ,और हम जाति के आधार पर ही हम समाज में समानता ला सकते है। साहब ने जाति को दुधारी तलवार के रूप में हत्यार बनाया! और प्रत्येक समाज में उसका जातीय गौरव जगा कर मान सम्मान और स्वाभिमान पैदा किया।
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| कश्मीर से कन्याकुमारी तक साइकल मार्च |
4 -जिसकी जितनी संख्या भारी उतनी उसकी हिस्सेदारी के आधार पर समाज के सभी वर्गों कि पार्टी में हिस्सेदारी सुनिश्चित की!
5 -भारतीय संविधान को अपना मेनिफेस्टो घोसित कर संविधान को सतप्रतिशत लागू कराने का संकल्प लिया! जहाँ धर्म, जाति और नस्ल से ऊपर संविधान को रख राष्ट्र के विकाश पर बल दिया।
वर्तमान में बसपा का शुद्धरूप से राजनीतिकरण हो चूका है! सत्ता मात्र बसपा का लक्ष्य रह गया है! जहाँ कांशीराम साहब के मूल सिद्धांत निस्प्रभावी होने से बहुजन समाज में बसपा के प्रति यकीन खो गया है! और दिशाहीन समाज अपनी सुरक्षा और भविष्य को लेकर भयभीत नजर आता है।
देस के प्रबुद्ध सम्मानित साथियो से उम्मीद करता हूँ! कि सत्ता के परिवर्तन में अपनी ऊर्जा न लगा कर सामाजिक परिवर्तन, आर्थिक मुक्ति में अपनी ऊर्जा लगाए!
क्योंकि सत्ता परिवर्तन ऐसा है जैसे चोरी को जारी रखते हुए चोर बदल दिया जाये, कल तक चोर ब्राह्मण था आज चोर चमार बन जाये! चोरी का जड़ मूल से नास
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| मिले मुलायम कांशीराम धूल में उड़ गए जय श्री राम |
सत्ता परिवर्तन के बजाये सत्ता के स्वभाव (राजसत्ता से जनसत्ता) के बदलने से संभव हो सकता है! और सत्ता का स्वभाव (राजसत्ता से जनसत्ता) का बदलना भारतीय संविधान को सतप्रतिशत लागू होने से संभव है!
तभी हम संत शिरोमणि गुरु रैदास जी की उस वाणी को सार्थक कर पाएंगे!
ऐसा चाहूँ राज में जहाँ ,मिले सबन को अन्न !
छोट बड़ सब सम बजे , रहे रविदास प्रसन्न !
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| राजनैतिक बाजीगर |
कल्पना करो जब संविधान के अनुसार सभी को न्याय, स्वतंत्रता और समानता के आधार पर देस में सामान शिक्षा, सामान चिकित्सा और देस के सभी साधन-संसाधन, धन और धरती पर सामान अधिकार हो!
फिर क्यों किसी को सत्ता परिवर्तन की ज़रूरत पड़ेगी!
तभी हम अपनी को बाबा साहब के सच्चे अनुयायी कह सकेंगे! संविधान कि सुरक्षा में ही हमारी सुरक्षा निहित है!
जय भीम
कपिल बर्मन





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