" संदीप शर्मा ब्राह्मणवाद का आतंकी चेहरा "


  •  ब्राह्मण  क्यों है मौन, आतंकवादी संदीप शर्मा पर ???

  • क्या संदीप शर्मा जैसे देश द्रोही, आतंकी ब्राह्मण जो धर्म और देश को कलंकित करता हो, उस पर राष्ट्रीय स्तर  बहस की ज़रूरत नहीं समझते है ?
  • क्या तमाम ब्राह्मण संगठनों को जो राष्ट्रभगती   की आड़ में देश के भीतर गाय और गोबर के आधार पर राष्ट्रभगती की पात्रता तय करते है और देश में अशांति और उन्माद फैलाने में कार्येरत है! उन तमाम ब्राह्मण संगठनों पर राष्ट्रहित में पाबन्दी की आवश्यकता नहीं समझते है ?






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  • साथियों ब्राह्मणवाद  अपनी निति और नेत्र्तव की ख़ातिर वो सबकुछ कर सकता है जिसे समाज मान्यता नहीं देता है ब्राह्मणवाद  को देश ,धर्म और समाज से कोई सरोकार नहीं होता बल्कि  वो देश ,धर्म और समाज  को अपनी स्वार्थ सिद्धि के लिये इस्तेमाल जरूर करता है ! जहाँ तक कि अपने अस्तित्व के ख़ातिर नैतिक रूप से इतना गिर जाता है की अपनी बहन बेटियों की इज्जत तक दांव पर लगा देता है ! उदाहरण मोर्य वंस के अंतिम शासक वृहदत्त को पुष्यमित्र  सुंघ ने ब्राह्मण राज स्थापित करने को अपनी ही बहन को राजा वृहदत्त को सौंपा था !  
  • ब्राह्मण मनघडंत काल्पनिक कहानियां लिखने का माहिर है उन्ही कहानियों को कुछ समय बाद परम्परा और धीरे धीरे बड़ी चालाकी और चतुराई से धर्म का रूप दे देता है !जैसे एक कहानी रामायण जो अंततः धर्म ग्रंथ में तब्दील हो गयी ,और उसके पात्रों को बड़ी चतुराई से  भगवान का दर्जा दे दिया गया !
  • मूलनिवासी बहुजन समाज के महापुरुष पेरियार रामास्वामी नायकर,आधुनिक युग के धार्मिक आंदोलन के महानायक ने अपने बुद्धिबल से विवेक और विश्लेषण के आधार पर बाल्मीकि रामायण और अन्य सभी रामायण का तुलनात्मक अध्यन कर एक पुस्तक लिखी जिसे सच्ची रामायण के नाम से जाना जाता है ! जिस पर कुछ ब्राह्मण संगठनों ने इलाहबाद हाई कोर्ट  में मुकदमा किया , मुकदमा संख्या 412 /1970 में वर्ष 1970-1971 व् सुप्रीम कोर्ट 1971-1976 के मध्य में मुकदमा अपील संख्या 291/1971 चला !जिसमे सुप्रीमकोर्ट के जस्टिस पी. एन।  भगवती ,जस्टिस वी आर कर्षणा अय्यर ,जस्टिस मुतज़ा फाजिल अली ने दिनांक 16 -09 -1976 को फैसला सुनाया कि सच्ची रामायण पुस्तक सही है और इसके सारे तथ्य वेद्ध है !सच्ची रामायण पुस्तक यह सिद्ध करती है कि रामायण नामक  देश में जितने भी ग्रंथ है वे सभी काल्पनिक है ! और इसकी कोई पुरातत्विक  पर्ष्ठभूमि नहीं है ! 
  • अगर ब्राह्मण को धर्म और आस्था से हैट कर देखा जाये तो ब्राह्मण से धूर्त दुनिया में कोई कौम नहीं पाई जाती है सभी मूलनिवासी बहुजनों को इनकी निति और नेत्र्तव से सावधान रहने की आवस्यकता है ,अगर मान सम्मान और स्वाभिमान से भारत में जीना चाहते हो ! और चाहते हो अपना खोया हुआ साम्राज्य तो अपने इतिहास के साथ साथ दुशमन का इतिहास भी जानना होगा !
  • जय भीम ,कपिल बर्मन 

                                                                         

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