"जातिवाद से ही संभव, जातिवाद का अंत"


 "ब्राह्मणवाद जातिवाद से होता है पोषित "

    आधुनिक भारत के राजनीतिक चाणक्य मान्यवर कांशीराम, जिन्हीने अपनी जातीय आधारित सोशल इंजीनियरिंग से भारतीय राजनीति के वर्षों पुराने आधार को धवस्त कर, बहुजन केंद्रित राजनीती बना डाली! जिन दलित पिछड़ों की राजनीतिक भागेदारी नहीं के बराबर थी कुछ ऐसी भी जातियां थी जिन्होंने कभी विधान सभा, लोकसभा में जाने की कल्पना भी नहीं की होगी! ऐसी जातियों को कांशीराम साहब ने उनकी संख्या के आधार पर लोकसभा और विधान सभा जाने का रास्ता प्रसस्त किया!  
    साथियों कांशीराम साहब का मानना था कि "जिस सीडी से उतारा जा सकता है, उसी सीडी से चढ़ा भी जा सकता है" स्वर्णों द्वारा सुनियोजित साजिस के तहत बहुजन मूलनिवासी समाज को जातीय आधार पर उन्हें नीच, कमीन सिद्ध कर उनका मान सम्मान और स्वाभिमान ख़त्म कर उन पर अन्याय, अत्याचार और शोषण किया !उसी जाति को मान्यवर कांशीराम साहब ने हत्यार बनाकर प्रत्येक दलित, पिछड़ी जातियों को जिन्हे स्वर्णों द्वारा निचा सिद्ध किया गया था, उन सभी जातियों में मान सम्मान और स्वाभिमान पैदा कर अपनी-अपनी जाति के प्रति गर्व करना सिखाया! 
    परिणाम स्वरूप चमार अपने को ग्रेट चमार कहने लगा, जो कल तक चमार होने पर अपना दुर्भाग्य मानता था, आज चमार होने पर सोभाग्ये समझने लगा! इसी प्रकार सभी जातियों ने अपनी-अपनी जातियों पर गर्व करना शुरू कर दिया, इसी कड़ी में जातीय आधार पर सामाजिक संगठन बने, जो कल तक धर्म के नाम पर बनते थे ! आज बहुजन समाज में जन्मे सभी माह पुरुषों की जयंती मनाते बहुजन सड़कों पर नजर आने लगे ! 
    जब तक बहुजन हिन्दू है तब तक जाति रहेगी, जाति रहेगी तब तक अन्याय, अत्याचार और शोषण जारी रहेगा ! जिस दिन बहुजन-चमार, नाई, तेली, धोभी, गडरिया, गुर्जर और जाट से भाट तक सभी जातियां हिन्दू धर्म के बजाये अपनी-अपनी जाति पर गर्व करना शुरू कर देंगे उसी दिन स्वर्ण, जाति ख़त्म करने को कहने लगेंगे! 
    हिन्दू के नाम पर संगठित होने पर स्वर्ण ताकत वर होता है और जाति के आधार पर संगठित होने पर स्वर्ण कमजोर और अल्पसंख्यकः बन जाता है 
    बहुजन मूलनिवासी समाज से करबद्ध निवेदन है कि अपनी-अपनी जाति पर गर्व करो, सामाजिक संगठन बनाओ, शोभा यात्रा निकालो, तभी हम मनुवाद को जड़ से उखाड़ फेंकने में सफल होंगे, जिस जाति की सीडी से हमें उतारा गया था उसी से सीडी हमें अब चढ़ाना भी है!
जय भीम
कपिल बर्मन

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