शहीदे आज़म भगत सिंह "ईश्वर" को धर्म गुरुओं की कल्पना मानते थे।


  • अगर मैं जेल से छुटा तो आजीवन बाबा साहब साथ रहते हुए, इन अछुत अस्पर्श्य भारतीयों की आजादी के लिए लड़ूंगा। 
  • मैं तो नकली दुश्मनो से लड़ रहा था,असली दुश्मन तो मेरे ही देश में है।" ब्राह्मण" 
  • मुझको तो बचपन से यही बताया गया हैं कि  देश अंग्रेजों से गुलाम हैं  !
  • शहीदे आज़म भगत सिंह "ईश्वर" को धर्म गुरुओं  की कल्पना मानते थे। 
  • उनका मानना था कि अगर ईश्वर है तो दुनियाँ में अन्याय ,अत्याचार और शोषण क्यों ? 



  • एक बार भगत सिंह कहीं जा रहे  थे रेलगाड़ी से, और एक स्टेशन पर गाड़ी रुकी गाड़ी को बहुत देर रुकना था। तो भगतसिंह पानी पीने के लिए उतरे पास ही एक कुँए पास गये ,और पानी पिया। तभी उनकी नजर कुछ दूर पर खड़े एक शख्स पर पड़ी जो धूप में नंगे बदन खड़ा था और बहुत भारी वजन भी अपने कंदे रखा था ,तरसती हुई आंखों से पानी को ओर देख रहा था ,मन मे सोच रहा था ,मुझको तोड़ा पानी पीने को मिल जाये। 
  • भगत सिंह उसके पास गए,और पूछने लगे आप कौन हो ,और इतना भारी वजन को धूप में क्यो उठाये हो ,तो उसने डरते हुए कहा,साहब आप मुझसे दूर रहे नही तो आप मुझसे अछूत हो जायँगे ,क्योकि मैं एक बदनसीब अछूत हूँ। 
  • भगत सिंग ने कहा आपको प्यास लगी होगी ,पहले इस वजन को उतारो और मैं पानी लाता हुँ ,आप पानी पी लो। भगत सिंह के करुणामय व्यवहार से वह अछूत बहुत खुश हुआ। 
  • भगत सिंह ने उसको पानी पिलाया और फिर पूछा आप अपने आपको अछूत कयों कहते हो ,तो उस अछूत ने हिम्मत करते हुए जबाब दिया ,अछूत मैं नही कहता हूँ साहब , अछूत तो मुझको एक वर्ग विशेष के लोग बोलते हैं। और मुझसे कहते हैं तुम लोग अछूत हो ,तुमको छूने से हमारा धर्म भृष्ट हो जयेगा। और हमारे  साथ अमानवीय जनवरो जैसा सलूक करते हैं
  • आप ने तो मुझको पानी पिला दिया नही तो मुझको पानी भी पीने का अधिकार नही हैं,और न ही छाया में भी खड़े होने का अधिकार हैं और न ही सार्वजनिक कुँए से पानी पीने का अधिकार हैं। 
  • तब भगत सिंह को आभास हुआ मुझको तो बचपन से यही बताया गया हैं की देश अंग्रेजों से गुलाम हैं पर ये तस्वीर तो कुछ और ही बयां  करती हैं। देश तो एक वर्ग विशेष धर्म के ठेकेदारों का  गुलाम हैं,जो धर्म के नाम सदियों से  भारत को मूर्ख बनाये हुए हैं। तभी भगत सिंह सोचने लगे देश अंग्रेजो से आजाद होकर भी गुलाम रहेगा,क्योकि इन अछुतो को कौन आजाद कराएगा ? तब भगत सिंह ने बाबा साहब के बारे में जाना(उस समय बाबा साहब विदेश में थे,) फिर भगत सिंह ने इस बात को लेकर अध्यन कियाऔर फिर सोंचने लगे इनकी ऐसी हालत कैसे हुई,भगत सिंह ने मैं नास्तिक क्यो पुस्तक में लिखा हैं ,मैं तो नकली दुश्मनो से लड़ रहा था,असली दुश्मन तो मेरे ही देश में है जिनसे अकेले बाबा साहब डॉ भीम राव अम्बेडकर लड़ रहे हैं ,अगर मैं जेल से छुटा तो आजीवन बाबा साहब साथ रहते हुए,इन अछुत अस्पर्श्य भारतीयों की आजादी के लिए लड़ूंगा,,,।

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