मन न रंगाये जोगी रंगाये कपड़े !

मन न रंगाये जोगी रंगाये कपड़े !

स्वयंभू बाबा सलाखों के पीछे !
  •  मन न रंगाये जोगी रंगाये कपड़े :-   अगर कपङे का रंगना मन के रंगने  की ख़बर हो तो कपड़े  का रंगना सार्थक सिद्ध होता है ! और  अगर कपङे का रंगना मन के रंगने से बचने का उपाय मात्र हो उस स्थति में कपड़े का रंगना स्वयं और समाज को धोखा  देना जैसा होता है  ! अधिकांश साधु ,सन्याशी मात्र कपड़े के  रंगने तक सिमित हो गए ,और भीतर की  यात्रा से वंचित रहे गये ! परिणाम स्वरूप  हमारा सन्यासी ऊपरी तौर से देखने भर का स्वामी बन गया ,लेकिन भीतर से संसारी ही रहा, जो सामान्य जनों की तरह कामना ,वासना और तृष्णा का गुलाम ही  बना रहा !  सामान्य जनों की तरह चोरी करता है ,व्यभिचार भी करता है साथ में संग्रह करने  स्वभाव भी बरक़रार है !   


  • स्वयंभू बाबा सलाखों के पीछे :-विवादास्पद स्वयंभू बाबा स्वामी ओम को उनके भाई द्वारा दर्ज कराए गए एक मामले में बुधवार को गिरफ्तार किया गया। उनके भाई ने उन पर नौ साल पहले उसकी दुकान से साइकिलें और कुछ दस्तावेज चुराने आरोप लगाया था। पुलिस के अनुसार पिछले साल साकेत की एक अदालत ने विनोदानंद झा उर्फ स्वामी ओम को इस मामले में भगोड़ा घोषित किया था। नवंबर, 2008 को स्वामी ओम के छोटे भाई प्रमोद झा की शिकायत पर लोदी कॉलोनी थाने में एक प्राथमिकी दर्ज की गयी। प्रमोद ने उन पर लोधी कॉलोनी में तीन लोगों के साथ मिलकर साइकल की दुकान का ताला तोड़ने तथा 11 साइकिलें एवं महंगे कल पुर्जे, मकान का बिक्री दस्तावेज एवं अन्य महत्वपूर्ण कागजातों को चुराने का आरोप लगाया था। स्वामी ओम बिगबॉस में प्रतिस्पर्धी रह चुके हैं। 

Comments