Skip to main content
मेघावी बेटी अनीता ने क्यों मौत को गले लगाया
चेन्नई: सरकार की दलित विरोधी मानसिकता से परेशान हो प्रतिभावान अनीता दुनियाँ से हुई विदा !

- "मेरी बेटी ने क्या गलत किया-पिता ने कहा " यह सवाल एक बाप अपनी होनहार बेटी को सदा
सदा लिए खो कर सरकार ही नहीं समाज के उन जिम्मेदार ,प्रभुद्ध लोगों से भी कर रहा है कि क्या कोई गरीब दलित की बेटी डॉक्टर बनने की इच्छा नहीं रख सकती ? क्या गरीब की बेटी के डॉक्टर बनने की इच्छा ,की इतनी बड़ी सज़ा है कि उसे जान गंवानी पड़ी ? जबकि मेरी बेटी ने विपरित परस्तिथियों में मेहनत मजदूरी करते हुए हालातों से लड़ती हुई,
मेरी अनीता ने 17 साल की उम्र में 12वीं में 98% अंक लाकर अपनी प्रतिभा को सिद्ध कर दलित समाज के गौरव को बढ़ाया ! क्या इसका इनाम मिला है उसे ? मेरी अनीता तो मुझसे दूर चली गई , देश में न जाने कितनी अनीता आज मौत के मुहाने पर कड़ी है ! मेरी अनीता तो बचा नहीं पाए ,अपनी अपनी अनीता को तो बचा लो ! एक बाप समाज से अपनी बेटी के खोने पर समाज से अपनी ह्रदयविदारक वेदनाएं प्रकट की है !
- देश के सभी सामाजिक संगठनों से मेरा विनम्र निवेदन है की अनीता को अपनी बेटी समझते हुए ,उसे न्याय दिलाने के लिए अपने अपने क्षेत्र में सरकार की दलित विरोधी नीतियों के विरोध में अपने अपने स्तर पर विरोध प्रदर्शन करे ! ऐसा कर बेटी अनीता के प्रति श्रद्धांजलि अर्पित करें !
- बेटी अनीता एक सुनियोजित साजिस के तहत हत्या है इसके विरोध में शांतिपूर्ण तरीके से अपने सामाजिक संगठन के पेढ पर महामहिम राष्ट्रपति ,मान्य प्रधानमंत्री के नाम ज्ञापन जिला अधिकारी को शोंपे !
- अपने थाने और एल आई यू को सूचित कर अपने अपने क्षेत्र में बेटी अनीता की हत्या के विरोध में केंडल मार्च निकाले
- अपने थाने और एल आई यू को सूचित कर अपने अपने क्षेत्र में अपने संगठन के बैनर पर सांकेतिक धरना प्रदर्शन करें !
- समाज के अपने मंदिरों और अम्बेडकर भवन में बेटी अनीता को श्रद्धांजलि देने के लिए शोक सभाओं का आयोजन करें ! ऐसा कर हम देश में राष्ट्रीय स्तर पर बेटी अनीता को श्रद्धांजलि के साथ साथ सरकार पर दलित विरोधी नीतियों के खिलाफ दबाव बना पाएंगे !ताकि भविष्य में कोई और अनीता सर्कार की नीतियों का शिकार न हो सके ! समाज किसी अनीता बेटी में डॉक्टर बनने को डर न धर कर जाये !
- हैदराबाद यूनिवर्सिटी में पी.एच.डी. छात्र रोहित वेमुला के सुसाइड का मामला तो सबको याद होगा। कोई भूल भी कैसे सकता है। इतनी राजनीति जो हुई थी। कितनी बहस हुई कि वह दलित था या नहीं था। संसद से सड़क तक हंगामा हुआ। काश इन सब बातों को किनारे रख दिया जाता। रोहित को सिर्फ़ एक छात्र के तौर पर देखा जाता। ये पता लगाने की बजाय कि वह दलित था या नहीं, ये पता लगाने की कोशिश होती कि आखिर क्या कारण रहे होंगे कि एक छात्र सुसाइड कर लेता है।
रोहित ही नहीं, कई छात्र ऐसा करते हैं। आखिर क्या मेंटल ट्रॉमा होता है जो स्टूडेंट्स ऐसा काम करते हैं। काश ये पता लगाने की कोशिश होती और नतीजों को ध्यान में रखकर बदलाव होते। अगर ऐसा होता तो शायद तमिलनाडु की अनीता 1 सितंबर को सुसाइड न करती।
- मेधावी की मौत:- तमिलनाडु के अरियालुर जिले की अनीता 17 साल की थी। उसने इसी साल 12वीं में 98% मार्क्स पाए थे। उसे डॉक्टर बनना था। पर एमबीबीएस के लिए ज़रूरी कर दिए गए NEET (नेशनल एलिजिबिलिटी कम एंट्रेंस टेस्ट) में उसको 86 परसेंटाइल मिले। इसलिए उसे सरकारी कॉलेज में एडमिशन नहीं रहा था। पर अनीता को हर हाल में डॉक्टर बनना था। सो वह अपना मामला कोर्ट में लेकर पहुंची। बात सुप्रीम कोर्ट तक गई. यहाँ तर्क दिया कि NEET का पेपर सीबीएसई के स्टूडेंट्स के हिसाब से आया था। जबकि वह तमिलनाडु बोर्ड की स्टूडेंट रही है। ये भी आरोप था कि अलग-अगल राज्यों में अलग-अगल पेपर आया। इसलिए उसे NEET से छूट दी जाए.
- अनीता भी मुद्दा भर न रह जाए:-पिछले साल तक तमिलनाडु में मेडिकल कॉलेजों में एडमिशन 12वीं की मेरिट के आधार पर होता था। इस तरह से देखें तो अबकी बार कटऑफ 191.25 (SC) होता। जबकि अनीता के 196.75 पर्सेंटाइल थी। यानी उसे आसानी से एमबीबीएस की सीट मिल जाती। मगर इस बार एडमिशन NEET से होने के आदेश हो गए. NEET परीक्षा तो पिछले साल भी हुई थी, मगर तब तमिलनाडु को इससे छूट मिल गई थी। इस साल भी तमिलनाडु सरकार ने अध्यादेश लाकर NEET से बाहर होने का प्रयास किया था, लेकिन 22 अगस्त को सुप्रीट कोर्ट ने इसे खारिज कर दिया। साथ ही काउंसलिंग प्रक्रिया 4 सितंबर तक पूरी हो जाने के निर्देश दे दिए. इसके बाद केंद्र ने भी कहा था कि इस मामले में तमिलनाडु को छूट नहीं जा सकती है। क्योंकि ऐसा करने पर और राज्य भी NEET से छूट मांगने लगेंगे।
- काश! पहले ही कोई सुन लेता :-चाहे आईआईटी हो, आईआईएम हो या कोई और कॉम्पिटीटिव एग्जाम।
सबको पता है कि स्कूल की पढ़ाई से कुछ नहीं हो पाता है। कानपुर से लेकर कोटा तक कोचिंग मंडियां इसी वजह से ही तो पैसा कूट रही हैं। पर पेशे से मजदूर अनीता के पिता टी. शन्मुगम ने दुख जाहिर करते हुए बताया कि वह अपनी बेटी को नीट के लिए कोचिंग नहीं करवा पाए. उन्होंने बताया कि सुप्रीम कोर्ट के नीट से जुड़े इस फैसले के बाद से ही अनीता डिप्रेशन में चली गई थी। 1 सितंबर को वह अपने कमरे में साड़ी से बने फंदे में लटकी मिली। इधर, अनीता की मौत पर राजनीति के साथ ही धरना-प्रदर्शन भी होने लगा है। तमिलनाडु के सीएम पलानीस्वामी ने पीड़ित परिवार के लिए 7 लाख रुपये और परिवार के एक सदस्य को नौकरी की घोषणा की है।
Comments
Post a Comment